9/20/13

प्यासी साली की प्यास


मेरी उम्र 32 साल है। मैं ठाणे का रहने वाला हूँ। मेरी शादी को पाँच साल हो चुके हैं। बात तब की है जब मेरी पत्नी पेट से थी। उस कारण मैं कुछ कर नहीं पाता था। सेक्स पहले सी ही मेरी कमजोरी रहा है पर जब वो गर्भवती हुई तो मुश्किल से ही कुछ हो पाता था। -----------------------------------------------------------------------------------तब मेरे मन में कुछ ख्याल आने लगे। सोचा कुछ तो इन्तजाम करना चाहिए। तभी मेरे दिमाग में एक बात आ गई। मेरे एक साली है अंकिता (नाम बदला हुआ) जो मेरी बीवी से छोटी है, तब उसकी उम्र 28 साल की थी। उसकी शादी भी हमारी शादी के तुरंत बाद ही हो गई थी। अंकिता मेरे ससुराल वाले शहर में ही रहती है। वो बहुत सुंदर थी और मजे अच्छी भी लगाती थी। उसका नाम अंकिता (नाम बदल हुआ है) है। अंकिता और उसके पति की खास जमती नहीं। वो ज्यादातर शराब के नशे में ही घर आता था। उस वजह से उनका यौन-जीवन कुछ ठीक नहीं था। मैंने सोचा कि इसी चीज का फायदा क्यूँ न उठाया जाये। अंकिता और मेरी पत्नी की आपस में इस बारे में बातें होती थी जो मेरी पत्नी अकेले में मुझसे बता दिया करती थी। ---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------उसके कहने के अनुसार अंकिता और उसके पति के बीच में कुछ ज्यादा शारीरिक सम्बन्ध नहीं थे। तो मैंने मन ही मन में अंकिता के साथ रिश्ता बढ़ाने की ठान ली और मौका तलाश करने लगा। एक बार जब मैं और मेरी बीवी मेरी ससुराल में गए तो मेरी सास ने मुझे अंकिता को लिवाने भेज दिया। जब मैं उसके घर पहुँचा तो वो घर पर अकेली थी। उसका पति दो-तीन दिन के लिए टूर पर गया हुआ था। जब मैं वहाँ पहुँचा तो वो फ्रेश होकर आई थी और नाइटी पहने हुई थी। उसकी फिगर 32-28-34 की होगी। उसने चाय बनाई तो हम इधर उधर की बातें करके चाय पीने लगे। फिर वो बोली- मैं दस मिनट में तैयार होती हूँ आप तब तक बैठिये। --------------------------------------------------------------------------------------------------------------------और वो कप उठाकर चल दी। मैं तो मौके की तलाश में ही था। उसके जाने के बाद मैं उसके कमरे के पास चला गया और दरवाजे के पास से, जो थोड़ा खुला था, वहाँ से अन्दर देखने लगा। उसने नाइटी उतार दी थी और वो सिर्फ चड्डी पहने थी। उसके हाथ में ब्रा थी और वो उसे पहनने वाली थी। मैंने पहली बार उसे इस रूप में देखा था। मेरा लंड जो साधारण ही है करीब पाँच-साढ़े पाँच इंच का पूरी तरह से तैयार था। उसे इस हालत में देख कर मन कर रहा था कि दरवाजा खोल कर अन्दर चला जाऊँ और उसे अपने आगोश में ले लूँ ! पर डर भी लग रहा था। उसने ब्रा पहन ली और ड्रेस लेने अलमारी की तरफ गई। दरवाजे से अलमारी नजर नहीं आती थी तो वो कुछ समय के लिए मेरी आँखों के सामने से ओझल हो गई। फिर वो सामने आई और बाल संवारने लगी। ----------------------------------------------------------------------------------------------------वो वापस अलमारी की तरफ चली गई, मैं उधर से ही उसे देख रहा था कि वो वापस आयेगी पर अचानक दरवाजा खुला। उसने देखा कि मैं दरवाजे के सामने से उसे देख रहा था। वो बोली- जीजू, आप यह क्या कर रहे हो? मैं तो इस अचानक घटी घटना से थोड़ा घबरा गया था फिर भी थोड़ी हिम्मत जुटा ली, मैंने बिना कुछ बोले उसे अपनी बाँहों में भर लिया। वो थोड़ी कसमसाई पर कुछ बोली नहीं। फिर मैंने कहा- अंकिता, मैं जानता हूँ कि तुम्हें आज तक जरा भी शारीएइक सुख नहीं मिला हैं। मैं वो तुम्हें देना चाहता हूँ।" वो बोली- नहीं जीजू, मैं आपके बारे में ऐसा नहीं सोच सकती। दीदी क्या सोचेगी ! मैंने उसे काफी समझाया कि पेट की भूख की तरह यह भी एक भूख है। अगर आपको घर पर खाना नहीं मिलता तो आप बाहर जाकर खाते हो ठीक वैसा ही यह भी है। उसका ध्यान मेरी पैंट की तरफ था, मेरे ख्याल में वो भी शायद यही चाहती थी। उसने सिर्फ मुझसे इतना कहा- जीजू, मुझसे वादा करो कि यह बात मेरे और आपके सिवा किसी को पता नहीं चलेगी। ------------------------------------------------------------------------------------------------------जब उसने इतना कहा तो मारे ख़ुशी के मैं फूला ना समाया। मैंने झट से अपने होंट उसके होठों पर रख कर वादा किया तो वो मुस्कुराई। वो झट से उठी और बोली- माँ और दीदी राह देख रहे होंगी, हमें चलना चाहिए। यह सब बाद में ! और अपने बेडरूम की तरफ चली गई। मैं उसके पीछे-पीछे अंदर चला गया। वो बोली- आप बाहर बैठो, मुझे शर्म आती है। पर मैं कहाँ मानने वाला था, मैं वहीं बैठ कर उसे तैयार होते देखने लगा। जब वो तैयार हुई तो हम लोग घर की तरफ निकल पड़े। घर पर खाना होने के बाद मैं निकलने वाला था। मैंने मौका देखकर उससे उसके घर की चाबी मांग ली और कहा- मैं तुम्हारे घर पर तुम्हारा इन्तज़ार करूँगा। फिर थोड़ी देर के बाद मैं अपनी बीवी को बाय करके यह बोल कर निकला- मैं ठाणे वापिस जा रहा हूँ। वहाँ से निकल कर मैं सीधा अंकिता के घर पहुँचा। वहाँ कोई नहीं था और अंकिता की राह देखने लगा। शाम को करीब पाँच बजे घण्टी बजी, मैंने दरवाजा खोला। जब वो अन्दर दाखिल हुई तो मैं उसे उपनी बाँहों में भर के सीधा बेडरूम की तरफ चल पड़ा। मैंने उसे पूरी जोश के साथ चूमना चालू किया। उसने भी मेरा साथ देना चालू किया। क्या करती ! उसकी बरसों की प्यास जो बुझने वाली थी आज। मैंने उसे बिस्तर पर उल्टा लेटा दिया। इतना सब करते समय मेरा लण्ड खड़ा हो गया था। उसके बहुत ही मुलायम गोल और भारी गांड ऊपर की तरफ थी। मैंने उसकी कमीज़ का पल्लू उठाया, बिस्तर पर बैठा और उसकी गांड पर हाथ फेरने लगा। फिर धीरे-धीरे मैंने उसकी सलवार घुटनों तक उतार दी। उसकी गांड अब छोटी सी लाल चड्डी में बहुत ही प्यारी लग रही थी। क्या मुलायम गांड थी उसकी। फिर मैंने उसके कूल्हों पर चूमना शुरू किया और साथ ही साथ थोड़ा काटता भी गया। और साथ ही उसकी सलवार भी पूरी उतार दी। फिर उसे सीधा किया और उसकी टांगों पर चूमना शुरू किया। धीरे से उसकी टाँगें खोल दी और फुद्दी पर जब मैंने अपनी जुबान रखी तो उसकी तो जैसे जान ही निकल गई। उसकी फुद्दी पहली बार किसी ने चाटी थी, वो बहुत खूबसूरत थी और मैं जब उसकी फुद्दी चाट रहा था वो मछली की तरह तड़प रही थी और साथ साथ मुँह से सेक्सी आवाजें ऊं अः आह निकाल रही थी। चार-पाँच मिनट तक मैं उसे ऐसे ही मज़ा देता रहा। फिर मैंने कहा- अपने सारे कपड़े उतार दे। उसने उतार दिए। वाह क्या फिगर था ! मैंने उसके चुचूकों को चूसना शुरू किया। उसने कहा- जीजू, अपने कपड़े भी उतार दो ! तो मैंने कहा- तू ही उतार दे। उसने पहले मेरा टीशर्ट और फिर पैंट उतार दी। फ्रेंची में से मेरा लण्ड बाहर मुँह निकालने की कोशिश कर रहा था। उसने तिरछी नजर से उसे देखा और उस पर हाथ रखते हुए मेरी फ्रेंची निकाल दी। फिर उसली बगल में लेट कर मैंने उसके होंटों पर चूमना शुरू किया। वो कहने लगी- जीजू, आपको बहुत अच्छी तरह प्यार करना आता है। मैं कसम से आज जिंदगी मैं पहली बार यह सब कर रही हूँ ! कहाँ से सीखा है यह सब कुछ? मैंने कहा- जब तुम जैसी खूबसूरत लड़की सामने हो तो सब कुछ खुद ही आ जाता है। वो बोली- अगर ऐसा होता तो आज तक मैं अपनी पति के होते हुए भी प्यासी नहीं होती। वो तो बस चूमते वक़्त ही ढल जाता है और कुछ कर ही नहीं पाता। मैंने पूछा- तुम्हें फुद्दी चटवाना कैसा लगा? कहने लगी- ऐसा लगा कि मैं हवाओं में उड़ रही हूँ। मैंने कहा- मुझे भी मज़ा दो ! उसने पूछा- कैसे? ------------------------------------------------------------------------------------तो मैंने अपना लंड उसकी होंटों के पास किया, वो मुस्कुराई और मेरा लंड अपने मुँह में डाल कर चूसने लगी। लौड़ा चुसवाने के बाद मैं उसके ऊपर आया और अपना लंड उसकी फुद्दी पर रख दिया। वो तड़प उठी जैसे कोई गर्म लोहे का टुकड़ा उसकी फुद्दी पर रख दिया हो। फिर मैंने धीरे धीरे लंड अन्दर करना चालू किया। पर बड़ी मुश्किल हो रही थी। मैंने लंड को एक झटका दिया तो मेरा सुपारा ही अन्दर घुस पाया। उतने से ही वो रोने लगी जैसे कि वह पहली बार चुद रही हो। फिर थोड़ी देर के बाद मैंने एक-दो जोर के धक्के लगाये। उसकी सील फट गई और वह जोर से चिल्लाई और बोली- बहुत दर्द हो रहा है। मैंने कहा- बस अब अन्दर जा चुका है अब और दर्द नहीं होगा। मैं दो मिनट तक वैसे ही पड़ा रहा और उसे चूमता रहा। फिर धीरे धीरे झटके शुरू किये और तेज़ होते गया। अब उसका दर्द भी कम हो गया था और उसे मजा भी आने लगा। कभी उसकी टाँगें कंधे पर रख कर, तो कभी ऊपर से उसकी फुद्दी मारता रहा। वो जोश में आहें भरती हुई मुँह से आवाजें निकालने लगी। फिर थोड़ी देर के बाद घोड़ी बना कर उसकी फुद्दी मारी। क्योंकि उसका पहली बार ही था, वो ज्यादा देर तक टिक नहीं पाई और बदन तो ऐंठते हुए झड़ गई। उसके चेहरे पर खुशियाँ झलक रही थी। क्योंकि मैंने भी काफी दिनों से सेक्स नहीं किया था, मैं भी उसके पीछे पीछे झड़ गया। मेरी साली अंकिता बहुत खुश थी मुझसे चुदवा कर। थोड़ी देर बाद वो उठी उसने खून से भरी चादर उठाई और बाथरूम की तरफ चल पड़ी। दर्द के मारे वो ठीक से चल नहीं पा रही थी। फिर वो रसोई में जाकर दूध ले आई। मैं उसके बेड पर नंगा ही लेटा था। जब वो आई तो मैंने जानबूझ कर आँखें बंद की हुई थी जैसे मैं सो रहा हूँ। उसने आते ही मेरे लंड को हाथों से खड़ा किया और चूसना शुरू कर दिया। फिर दोबारा मैंने उसकी फुद्दी मारी। अबकी बार काफी देर तक हम दोनों नहीं झड़ पाए। अंकिता बहुत खुश थी कि उसे इतना मज़ा देने वाला मिल गया जिसकी उसे तलाश थी। उस रोज मैं उसके घर में ही रुका और उसे रात भर में पाँच बार चोद दिया। अब जब भी मौका मिलता है मैं उसे मजा देता हूँ पर अफसोस है कि मैं उसे बच्चा नहीं दे सकता। नहीं तो उसके पति को शक हो जायेगा कि वो किसी और से चुदती है।

मेरी पहली सुहागरात


दोस्तों, मेरा नाम रोहित है, मेरी उम्र सिर्फ १७ साल है और मै गावं से शहर काम करने आया हु | मेरे एक रिश्तेदार एक बड़े घर मे चौकीदारी का काम करते है | इस बार जब वो गावं आये, तो मुझे बड़े घर मे काम के लिए अपने साथ लेते आये थे | जब मै शहर आया, तो मै साड़ी चीज़े देखकर दंग रहा गया था | बड़ी-बड़ी दुकाने, बड़ी-बड़ी गाड़िया, बड़े-बड़े घर, मेरी तो आखें फटी-की-फटी रहगयी थी | और जब मै घर पंहुचा; तो, मै तो बिकुल पागल हो गया | क्या बड़ा घर? बड़ी-बड़ी गाड़िया | सब कुछ सपने जेसा था | लेकिन, ये सपना जल्दी ही टूट गया | क्योकि, मै सिर्फ वहा पर सिर्फ एक नौकर था |इतने बड़े घर मे सिर्फ तीन लोग थी | बड़ी मेमसाहब, बड़े साहब और छोटी मेमसाहब | छोटे मेमसाहब मेरी उम्र की थी | मेमसाहब और साहब दोनों के पास घर के लिए समय नहीं था | साहब अपने काम मे और मेमसाहब अपने काम और पार्टी मे व्यस्त रहते थे | छोटी मेमसाहब घर अक्सर अकेले या अपने दोस्तों के साथ होते थी | मेमसाहब का कमरा बहुत बड़ा था, एक कमरे मे २-३ कमरे बने थे, अलग-अलग काम के लिए अलग | घर मे काफी नौकर थे, और मै उन सब मे सबसे छोटा था | मुझे छोटी मेमसाहब की सेवा मे लगाया था |-----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------मुझे उनके सोने, उठने, खाने, पीने, कपड़ो का ध्यान रखना होता था | जब वो उठती थी, तब मे उनकी कमरे मे होता था और जब वो नहाती थी, तो मै उनके बाथरूम के बाहर उनके कपडे लेकर खड़ा होता था | उनके ब्रा और पेंटी भी मेरे ही हाथो मे होती थी | शुरू-शुरू मे तो, मुझ से ये काम नहीं होता था; लेकिन, बाद मे आदत पद गयी | कभी-कभी मै बाथरूम के दरवाजे के छेद मे से बेबी को नहाते देखता था, मुझे बड़ा मजा आता था; क्योंकि, बेबी जी का बदन गोरा और बड़ा मस्त था और मेरा लंड उनको देखते ही तन जाता था और बेबी जी को कपडे बाहर से पकड़ा कर बाहर भाग जाता था | एक दिन, जब मे बेबी जी को छेद मे से देख रहा था, तो बेबी जी ने अचानक से दरवाजा खोल दिया और मुझे अंदर खीच लिया | अब बेबी जी मेरे सामने [पूरी नंगी खड़ी थे और मे मुह खोले उनके सामे खड़ा था और पानी मे भीग रहा था |------------------------------------------------------------------------------------------------------------बेबी जी ने कड़कती आवाज़ मे पूछा, क्या कर रहे थे? मोम-डैड को बोलू क्या ? मेरी तो पेंट मे से सुसु निकल पड़ी | मैने उनसे छमा मांगी और दरवाज़ा खोल के जाने लगा | उन्होंने, बोला कहा जा रहा है और तुने मेरा बाथरूम को गन्दा कर दिया | अब तुझे सजा मिलेगी | अपने सारे कपडे उतार, मे तो कपडे उतारने की बजह कपडे पकड़ के खड़ा हो गया | बाबु जी फिर बोली, उतारता है या बुलइयो किसी को | मैने डरते-डरते कपडे उतारे और बेबी जी के सामने बिलकुल नंगा खड़ा हो गया | मेरा लंड भी डर के मारे सुकड गया |---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------बेबी जी ने मेरे लंड को हाथ मे लिया और बोले; ये बहुत छोटा है, इससे मेरा क्या होगा और अपने हाथ से मेरा हस्त्मथुन करने लगी | धीरे-धीरे मेरा डर जाने लगा और मेरा लंड खड़ा होने लगा | जब वो पूरी तरह से खड़ा हो गया, तो बेबी जी; हँ अब कुछ ठीक है, लेकिन कोई बात नहीं | आज तेरी पहली सुहागरात है, दो – तीन बार मे थोडा बड़ा हो जायेगा | फिर उन्होंने, मुझे टट्टी वाली जगह पर बिठा दिया और मेरी कमर को पीछे लगा दिया | अब मेरा लंड सीधा खड़ा हो गया और मेम साहब मेरे ऊपर यानि लंड के ऊपर अपनी चूत रखकर बेठ गयी | जससे ही, वो मेरी लंड के ऊपर बेठ कर नीचे गुई, मेरी तो वाट लग गयी | मेरी सारी खाल खीच के नीचे आ गयी और मे दर्द के मारे चीखने लगा |---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------बेबी जी ने अपना हाथ मेरे मुह मे घुसा दिया और अपने आप को मेरे लंड से चोदती रही | मेरा तो दर्द के मारे बुरा हाल था और वो सी-सी करके मज़े ले रही थी | थोड़े देर मे मुझे अपने अंदर से कुछ निकलने का अहसास हुआ और कुछ झटके साथ मेरे लंड से निकल के बेबी जी की चूत मे लगा | मेरी तो वाट लग गयी; क्योकि, मेरा शरीर तो निढाल हो गया | लेकिन बेबी जी अब भी मेरे ऊपर लगी हुई थी | मेरा पानी निकलते देख; वो बोली इतना जल्दी; लेकिन अभी मे प्यासी हु | फिर उन्होंने मेरा मुह के सामने अपनी चूत रख दी और चाटने के लिए बोला |---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------मैने मना कर दिया, लेकिन बेबी जी ने जबरदस्ती मेरे मुह को अपनी चूत मे घुसा दिया और मै भी छांटने लगा | मै अपनी जीभ किसी कुते की तरह चला रहा था थोड़े देर मे बेबी जी मचलने लगी और मेरा मुह हटा दिया और उनका पानी उनकी चूत से टपकने लगा और उनके मुह पर मुस्कान आ गयी |अब वो बोले, जा अपना लंड कल तक थोडा बड़ा कर ले, तुझे अभी बहुत काम करना है | दोस्तों, यकीं करे, मेरी बेबी जी बिकुल पागल है और उसके बाद उन्होंने और उनकी सहलियो ने जो मेरा हाल किया है, वो मै आपको अगली कहानी मे बताउंगा |

सविता भाभी की चुदाई

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नौकरानी की गंधी चूत!


ये कहानी कुछ ही दिन पहले की है। हमारे घर पर एक नौकरानी थी। उसकी २ बेटीयाँ थी। उसकी छोटी बेटी दिखने ने बहुत ही सेक्सी थी। उसकी फ़ीगर देख कर किसी के भी मुंह में पानी आ जाये! एक दिन वो मेरे घर पर झाडू बैठ कर लगा रही थी। में तभी उसके पीछे से गुजरा और जानबूझकर मैने अपना पैर उसके चूतड़ पे छूकर निकला! वो चौंक गयी! लेकिन कुछ नहीं बोली। उसकी मस्त गांड देखकर मुझसे रहा नही गया और मैं हमेशा इसी तरह करने लगा। मुझे इस बात का डर नहीं लग रहा था। पता नही क्यों! फिर एक बार सब लोग बाहर गए थे। मैं अंदर रूम में था। वो झाडू लगाने आई। तो मैने उसे पकड़ लिया और उसे चूमने लगा। वो हैरान हो गयी और कहने लगी मैं तुम्हारी माँ को बता दूंगी! मैं थोडा डरा। तो मैने उसके मुंह में अपनी थूक डाल दी और उसके हूंठों को चूसने लगा। फिर मैने एक हाथ से उसके स्तनों को छुआ और कसके दबाने लगा। मैं उसे पीछे से पकड़कर क्लोथ सेक्स करने लगा वो थोड़ा मुस्कुराई। फिर वो ज़मीन पर बैठ कर पोंछा लगाने लगी। फिर मैने एक हाथ उसके कुरते के अंदर गर्दन की साइड से डाल कर उसका एक चुचुए को बाहर निकालने लगा। उसके काले निप्पल दिखने लगे! मैने उसकी चूत पर हाथ रखा। वो शरमा गयी और मेरे कमरे सी बाहर चली गयी। हमारे घर मे दो बाथरूम थे। एक बाथरूम कमरे में था और दोसरा बाथरूम बाहर आंगन से जुड़ा था। फिर जब वो बाथरूम में कुछ लेने गई तो मैं भी उसके पीछे गया और फिर से उसको पकड़ कर चूमने लगा। मैं अब और नही रुक सकता था। इसलिए मैनें अपने खडे लंड को बाहर निकाला तो वो डर गई और विरोध कर रही थी। तो मैने कहा चुपचाप करवा लो वरना रेप करना पड़ेगा! और तुम किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहोगी। अगर चुपचाप करवा लोगी तो किसी पता नहीं चलेगा। उसका विरोध कम हो गया मैने उसकी सलवार उतार दी और पेंटी को चूमने लगा। फिर मैं उसके स्तन चूसने लगा। मैं उसके बेटे कि तरह उसका दूध पी रहा था। अब वो भी बहुत गरम हो गयी! और सेक्सी आवजे निकालने लगी, “स्सस्सस्सशह्हह्हह्हह”। फिर उसने कहा, “मेरे निप्पले को और तेज चूसो!” तो मैं हैरान हो गया! मैने खुशी के मारे उसकी आंखों को चूम लिया। फिर मैने उसकी पैंटी उतारी तो वो मुझसे बोली कि मुझे सूसू आ रहा है। मैं उसे बाथरूम ले गया और मैने उसे अपने सामने मूतने के लिये विवश किया तो वो शरम से पानी-पानी हो गयी। फिर मैने उसके पेशाब में अपने हाथ धोये। मुझे लगा कि गरम पानी से हाथ धो रहा हूँ। फिर मैं उसे ले जाकर बिस्तर पर लिटा दिया और ६९ कि पोसिशन में अपना लंड उसके मुंह में डाला और उसकी चूत को चूसने लगा। थोड़ी देर बाद वो झड़ गयी! मैने उसका टेस्टी कम पी लिया। फिर मैं भी झड़ गया। वो मेरा रस गटक गयी। फिर वो मेरे लंड को चूसने लगी। जब मेरा ९ इन्च का लंड खड़ा हुआ तो मैने अपना लंड उसकी चूत पर रख कर धक्का मारा तो टोपा अंदर घुसी। वो चिल्लाने लगी, “ईइ मार डाला! आह…” उसके आँख से आंसु निकलने लगे! उसकी चूत से खून बह रहा था। मगर थोड़ी देर बाद वो नोर्मल हुई और मजे लेने लगी। वो खुशी से कराह रही थी। अब मैं उसे तेजी से चोदने लगा। वो इतना मजा ले रही थी कि वो धीमी आवाज मे बोली, “अब मैं तुमसे रोज चुदवाउंगी ओह्हह्हह्ह यीईईईई!” और वो झड़ गयी। मैने धक्के तेज कर दिये और उसकी चूत में झड़ गया। उसकी चूत से मेरा गरम रस और उसका खून बाहर बह रहा था। मैने उसको बैठने को कहा। उसको दर्द हो रहा था। फिर मैंने उसे कपडे पहना दिए और घर भेज दिया। मेरी प्रार्थना हैं कि आप सभी को भी ऐसी ही नौकरानी मिले!

सेक्सी तान्या


मैं इलाहाबाद में रहता हु मेरी पड़ोस में एक शुक्ला परिवार बम्बई से पोस्टिंग होकर यही बस गए,शुक्ला परिवार मैं एक खुबसूरत लड़की तान्या थी.मस्त फिगर चलती तो उसके मटकती गांड को देखकर में बेकाबू हो जाता .धीरे धीरे हमारी आपस में अच्छी बनाने लगी|मेरा मन हमेशा उसे चोदने का ख्बाब देखता बस मोके कि तलाश थी .एक दिन तान्या कि माँ बोली कि उसकी इंग्लिश कमजोर है सो पढ़ने में उसकी मदद कर दिया करो .मुझे तो हा करना ही था सो अगले दिन से चार बजे शाम मैंने उसे पढ़ाना शुरू कर दिया। मैं पढ़ाता कम था और मैं मौका देख कर उसके चूचे निहारता रहता था, सुडोल चूचे,पतली कमर,होंठ लाल !मेरा मन करता था| किअभी लंड चूत में रगड़ दूँ, लेकिन में जोर जबरदस्ती नहीं चाहताथा| एक दिन शाम को मेरे घर के सभी रिश्तेदारों के यहाँ गए हुए थे .और तान्या को पढ़ा रहा था.उस दिन तान्या हल्का गुलाबी सूट पहन रखा था.और उसके चूचे हलके दिख रहे रहे थे। और सफ़ेद झीनी सलवार में उसकी खुबसूरत टाँगें की झलक आ रही थी। सलवार में से उसकी ब्लेक रंग की पेंटी नज़र आ रही थी। मेरी नज़र बार-बार उसके चूचों पर जा रही थी। उसने ब्रा नहीं पहनी थी और चुन्नी से अपने चूचे छुपाये बैठी थी। मैं उसे पढ़ाने लगा लेकिन उसका मन कहीं और था। अचानक उसने कहा कि क्या मेरी कोई गर्ल फ्रेंड है? मैंने चोंक कर कहा- नही के बात है आज पढ़ना नहीं है क्या उसने कहा आज कुछ और मूड है में तो उसे शरीफ समझता था लेकिन ये सवाल सुनकर में हक्का बक्का रह गया उसने मुझसे पूछा कि क्या कभी मैंने सेक्स किया है?तो मैं बोला- नही उसके बाद उसने कहा कि वो मेरे साथ सेक्स करना चाहती है। मैं तो कब की राह देख रहा था और पका आम अपने आप मेरी झोली में आ रहा है में तुरंत तैयार हो गया। मैंने उसे गले लगा लिया और किस करना शुरू किया, किस करते करते मैंने उसके स्तनों पर हाथ फेरनेलगा. वो भी धीरे से मेरे पजामे में हाथ डाल दिया और मेरे लंड को सहलाने लगी। मैंने उसके गुलाबी सूट का हुक खोला और उसके चूचों को चूसने लगा । वो होले होले मेरे लंड को सहला रही थी| बाद मैंने धीरे से उसकी सलवार और पेंटी उतार दी। और चूत जो पहले से गीली थी। मैंने उसमे ऊँगली डाल दी तब उसने मेरा लंड मुँह में लेकर चूसने लगी। उसको मज़ा बहुत आ रहा था जैसे ही GSPOT पर मेने ऊँगली फेरा वो थरथरा गयी |अब वो बोली- अब इंतज़ार नहीं होता, मुझे प्लीज़ चोद दो।इसके बाद मैं उसके ऊपर लेट गया। फिर मेने लंड को चूत के उपर होले होले फेरते हुए झटका मारा वो दर्द से कसमसाई लेकिन में ने उसको जकड़ा हुआ था तो हिल भी नहीं पाई और दो झटको में चूत कि दीवार फाड़ते हुए मेरा लंड पूरा घुस गया वो कराह उठी। लेकिन वो कंट्रोल में थी' फिर फिर थोड़ी देर बाद जब दर्द कम हुआ तो धीरे धीरे लंड को थक्का देना शुरू किया अब वह हर धक्के पर आः ऊह्ह् आआह्ह्ह्ह्ह कर रही थी, उसके हाथ मेरी पीठ पर थे और वह अपने नाखून मेरी पीठ में गड़ा रही थी। उसने अपनी टांगों को मेरी टांगों से ऐसे लिपटाकर जकड लिया था जैसे लता पेड़ पर लिपट जाती है उसे मज़ा आ रहा था और मैं धकाधक उसे चोद रहा था लगा।कुछ देर बाद हम पसीने से तरबतर हो गए फिर मेरे लंड से वीर्य का फव्वारा छुटा और उसकी चूत में सारा उड़ेल दिया साथ ही उसका पानी भी निकल गया और हम दोनों चिपटकर सोफे पर लेट गए हम दोनों कि आँखे मदहोशी में मुंद गयी और काफी देर इसी तरह पड़े रहे

संध्या से मज़ा


आज से दो महीने पहले की बात है मैं अपनी बाईक से बाज़ार जा रहा था, तो मेरे से घर से बाजू वाली संध्या भाभी रास्ते में कही जा रही थी। सो मैंने उससे पूछा- संध्या भाभी ! चलो मैं तुम्हें छोड़ दूंगा मैं बाज़ार जा रहा हूँ। वो भी बाज़ार जा रही थी सो तैयार हो मेरे पीछे बाइक पर बैठ गई .बाज़ार में हमने काफी कपड़े खरीदे शोपिंग करने के बाद मैंने उसे कहा- चलो कहीं जूस या काफ़ी पीते हैं। उसने कहा- चलो ! सामने के कोफ़ी हाउस में हम पहुंचे।काफी का आर्डर देने के बाद मैंने उससे पूछा कि तुम्हे जल्दी तो घर नहीं जाना है तो वो बोली- वो तो पन्द्रह दिन के लिए बाहर गए हुए हैं इसलिए कोई जल्दी नहीं है मैंने संध्या से कहा- तो चलो आज खाना मेरे दोस्त के गेस्ट हाउस में खाते हैं। वो तैयार हो गयी।धीरे धीरे हमारी बाते खुलकर होने लगी बातो बातो में उसने बताया मेरे पति मुझे कभी संतुष्ट नहीं कर पाए है।फ़िर मैं उसको अपने एक दोस्त के गैस्ट हाऊस में ले गया।काफी पीते पीते मैंने दोस्त से कमरे के लिए बात कर ली सो मेरे दोस्त ने मुझे बहुत अच्छा ऐ सी कमरा दिया वहा हमने खाना खाकर आराम से कमरे में बेठे थे संध्या उस समय खुबसूरत लग रही थी मैंने कहा- अब हम दोनों कुछ मज़ा ले वो बोली- किसी को पता चल गया तो? !मैंने उसे कहा- अरे कुछ नहीं होगा, यह मेरे दोस्त का होटल है।वो तैयार हो गयी। मैंने उसको धीरे धीरे सहलाना शुरू किया फिर उसके गले में चूमते चुमते बूब को दबा दिया वो सिसकी- ऊह ! फ़िर मैंने उसकी साड़ी धीरे धीरे प्यार से अलग कर दिया। अब उसके बड़े बड़े बूब्स उसके हाफ ब्लाउज़ से अलग ही नजारा दिखा रहे थे। फिर मैंने अपना टी शर्ट और जींस दोनों उतार दिए और सिर्फ़ अन्डरवीयर में आ गया। अब मैं और अपने होंठों से उसके होंठों पर चूमना करना शुरू किया, फ़िर गाल पर, गले पर और हर जगह फ़िर मैंने उसके पेटिकोट को उतार दिया और नीचे से हाथ डाल कर उसकी चूत को पैंटी के ऊपर से ही सहलाने लगा। वो सीत्कार करने लगी- आह्ह ! आ !फिर अपना दूसरा हाथ से उसकी पैंटी को खींच कर निकाल दिया। अब उसके ब्लाऊज़ के बटन खोल कर उतार दिया और वो ब्रा में आ गयी। मैंने देर ना करते हुए ब्रा भी उतार दी। ओह! क्या बूब्स थे ! बड़े और सख्त !मैं उन्हें मसलने और जोर से दबाने लगा। मैंने उसके निप्पल को अपनी उंगलियों में लेकर दबाया, वो जोर से सिसकने लगी उह उह आह मेरी जान आज मुझे पूरी तरह से चुदाई का मज़ा दो, मैंने अपना अन्डरवीयर निकाल दिया और अपना लण्ड उसके हाथ में दे दिया। वो मेरे लण्ड को रगड़ने लगी अपने हाथ से। मेरी भी आहें निकलने लगी। और मैंने उसको लन्ड मुंह से चूसने को बोला। उसने मेरे लण्ड को अपने मुंह में ले लिया और मैं 69पोजीसन होकर उसकी चूत के पास पहुंच गया और फ़िर मैं उसकी चूत जीभ से चाटने लगा मेरी जीभ उसकी चूत में इधर उधर हो रही थी और वो मेरा पूरा लण्ड चूस रही थी। थोड़ी देर बाद वो बोली- अब तुम मुझे चोदो अपने लण्ड से, अब मुझसे रहा नहीं जाता, ! चोदो मुझे ! चोदो !मैं सीधा हुआ और अपना लण्ड उसकी चूत के ऊपर सहलाने लगा। उसकी टाईट चूत को चोदने के लिए मैंने पहला झटका ही जोर से दिया , वो चिल्लाई-ओह्ह ! मर गई मैं! दर्द हो रहा है मुझे !अभी मेरा आधा लण्ड उसकी चूत में गया था। काफ़ी टाईट चूत थी...फ़िर एक बार फिर जोर के झटके से अपना पूरा लण्ड उसकी चूत में डाल दिया। वो सिसकी- आह धीरे धीरे ! फ़िर मैं धीरे धीरे अपने लण्ड को आगे पीछे करने लगा। कुछ देर बाद वो अपना दर्द भूल गई थी और मजे लेने लगी ,इधर मैंने अपने झटकों की ताकत बढ़ाई तो वो सीत्कारने लगी - ओहो! ह्म्म! आ ! जोर से ! और दे धक्के ! मैं और जोर से उसे चोदने लगा। थोड़ी देर बाद वो झड़ गई। उसकी चूत का रस टपकने लगा मुझे और मज़ा आने लगा।उसे भी काफ़ी मज़ा आ रहा था। उसके झड़ने से कमरे में फ़च फ़च की आवाज़ गूंज़ने लगी। थोड़ी देर बाद मुझे लगने लगा कि मैं भी डिस्चार्ज होने वाला हूं, और उसको बेड पर उल्टा कर से कुतिया बना कर पीछे से उसकी चूत में अपना लण्ड घुसाया। वो सिसकी- आह ! ओ! ह्ह फ़िर मैंने पीछे से जोर जोर से धक्के लगाने शुरू किए। उसको बहुत मज़ा आ रहा था.अब मुझे लगा कि मेरा लौड़ा नहीं रुकेगा, मैंने उससे कहा- मैं अब झड़ने वाला हूं। वो जोर से बोली- मेरी चूत में ही डालना और मैं अपनी पूरी ताकत से उसकी टाईट चूत में झटके लगा और झटके के साथ मैंने अपना पूरा माल उसके चूत में छोड़ दिया.उसने मुझे कसकर जकड लिया अब हम थकगए थे सो हम नंगे ही बेड पे पड़े रहे। फ़िर हम एक घंटे बाद अपने कपड़े पहन कर गेस्ट हाउस से निकल गए, मैंने उसको घर छोड़ दिया.....

चाची को चोदा


मेरे दूर के रिश्ते में चाचा चाची बनारस में रहते थे। एक दिन पता चला कि वो हमेशा के लिये कटनी में आ गये हैं। मै और घर के सभी लोग उनसे मिलने गये। पहले उनकी लव मैरिज हुई थी पर कोइ बच्चा नहीं हुआ। चाची कि उमर साल होगी। मैने चाची को देखा तो देखता ही रह गया। लम्बी, गोरी चिटटी चाची का भरा बदन, चौड़ी कमर, बाहर निकले उत्तेजक हिप्स और ब्लाउज से बाहर झांकते बड़े-बड़े स्तन मेरे मन में हलचल मचाने लगे। मेरे मन में उनको चोदने का ख्याल आने लगा। मेरे चाचा अपना व्यापार करने की सोच रहे थे। मै अक्सर उनके घर आया जाया करता था। मै चाची से खूब घुल मिल गया था और वो भी मेरा काफ़ी खयाल रखती थी। एक दिन चाचा को बाहर जाना था तो चाची बोली कि उन्हें रात को अकेले में डर लगेगा। चाचा ने मेरि मां से बात की तो मां ने मुझे कहा कि तुम रात को चाची के पास सो जाया करो। मैं रात को ९ बजे चाची के पास पहुंच गया। चाची बोली- राज! तुम्हारे लिए अलग बिस्तर लगायें या तुम मेरे साथ ही सो जाओगे? मैने कहा - जैसा आप ठीक समझें। मैं तो कहीं भी सो जाउन्गा। चाची बोली- तो तुम इसी बिस्तर पर सो जाना। फ़िर चाची अपने काम में लग गयी। रात को १० बजे चाची कमरे में आयी और साड़ी उतारते हुए बोली - राज, तुम अखबार पढ रहे हो, मैं सो रही हूं, जब तुम्हें नीन्द आये तुम सो जाना। थोड़ी देर में मैने लाईट बंद की और लेट गया। मुझे नींद नहीं आ रही थी। काफ़ी देर बाद चाची उठकर लाईट जला कर बाथरूम गयी और वापिस आकर लेट गयी। मैं जाग रहा था लेकिन आंखे बंद करके लेटा था। कुछ देर बाद चाची बोली - राज तुम सो रहे हो? मैने अचानक जगने का बहाना किया और बोला क्या हुआ चाची? चाची एक दम मुझ से लिपट गयी और बोली मुझे डर लग रहा है। मैने कहा- डर कैसा? पर मुझे करंट सा लगा जब उनके बूब्स मेरी छती से छुये। उनकी एक टांग मेरे उपर थी। मैने भी उनकी टांग पर एक पैर रख दिया और उनकी पीठ पर हाथ रखते हुए कहा- सो जाओ चाची। चाची धीरे धीरे मेरी बाहों मे सिमटती जा रही थी और मुझे मजा आ रहा था। धीरे से मैने उनके हिप्स पर हाथ रखा और धीरे धीरे सहलाने लगा। चाची को मजा आ रहा था। फ़िर चाची सीधी लेट गयी और मेरा हाथ अपने पेट पर रखते हुए कहा कि तुम मुझ से चिपट कर सोना, मुझे डर लग रहा है। अब मै भी उनसे चिपट गया और उनके बूब्स पर सिर रख लिया। मेरा लन्ड खड़ा हो चुका था। मै धीरे धीरे उनका पेट औए फ़िर जांघ सहलाने लगा। तभी चाची ने अपने ब्लाउज के कुछ हुक खोल दिये यह कह कर कि बहुत गर्मी लग रही है। अब उनके निप्पल साफ़ नज़र आ रहे थे। मैने बूब्स पर हाथ रख लिया और सहलाने लगा। अब मेरी हिम्मत बढ चुकी थी। मैने उनके बूब्स को ब्लौज से निकाल कर मुंह मे ले लिया और दोनो हाथों से पकड़ कर मसलते हुए उनका पेटीकोट अपने पैर से उपर करना शुरु कर दिया। वह बोली-क्या कर रहे हो? मैने जोश में कहा- चाची आज मत रोको मुझे। उनकी गोरी गोरी जांघों को देख कर मै एक दम जोश मे आ चुका था। उनकी चूत नशीली लग रही थी। मैने उनकी चूत को चाटना शुरु कर दिया।मै पागल हो चुका था। मैने अपने पैर चाची के सिर की तरफ़ कर लिये थे। चाची ने भी मेरी नेकर को नीचे कर लिया और मेरा लन्ड निकाल कर चूसने लगी। वह मुझे भरपूर मजा दे रही रही थी। कुछ देर बाद चाची मेरे उपर आ गयी और मै नीचे से चूत चाटने के साथ साथ उनके गोरे और बड़े बड़े हिप्स सहलाने लगा। चाची की चूत पानी छोड़ गयी। अब मै और नहीं रह सकता था, मै उठा और चाची को लिटा कर, उनकी टांगें चौड़ी करके चूत में लन्ड डाल दिया और चाची कराहने लगी। मै जोर जोर से धक्के लगाने लगा। चाची ने मुझे कस के पकड़ लिया और कहने लगी- राज एसे ही करो, बहुत मजा आ रहा है, आज मै तुम्हारी हो गयी, अब मुझे रोज़ तुम्हारा लन्ड अपनी चूत में चहिये एएऊउ स्स स्सी स्स्स आह्ह्ह ह्म्म आय हां हां च्च उई म्म मा। कुछ देर बाद मेरे लन्ड ने पानी छोड़ दिया और चाची भी कई बार डिस्चार्ज हो चुकी थी। उस रात मैने तीन बार अलग अलग ऐन्गल से चाची को चोदा। चाची ने भी मस्त हो कर पूरा साथ दिया। तब से जब भी चाचा बाहर जाते तो हम दोनो रात को खूब मजे करते

सूरज का सेक्स


मेरे घर मेरे भाई का दोस्त सूरज जो २१ साल का था और सीमेंट फेक्ट्री में नौकरी करता था. वो दिखने में सुंदर और गोरे रंग का है. जब वो हमारे घर आता तो उसको देख कर मेरा मन मचल उठता , वो भी जब मुझे देखता तो वो भी मेरी तरफ़ आकर्षित होने लगा था मैं रागनी पाण्डेय दिखने में खुबसूरत हूँ.मेरा बदन गोरा और चिकना है. मेरे शरीर सुडोल व, उभार और गहराइयाँ किसी को भी अपनी ओर आकर्षित कर सकती हैं.सूरज भी मेरी जवानी से बच नहीं पाया. वो मुझसे बातें करने के बहाने ख़ुद कमरे में आ जाता, मेरी इन सेक्सी हरकतों से उसका मन डोल गया. मम्मी पापा के ऑफिस चले जाने के बाद मैं घर में इठलाकर चलती कि मेरे चूतडों की लचक, और बदन की लचक नजर आती थी. मैं चाहती थी कि सूरज किसी तरह से मेरी और आकर्षित हो जाए और मैं उसके साथ अपने तन की प्यास बुझा लूँ. रोज की तरह सूरज ने मुझे अपने कमरे में बुलाया. और मुझसे बात करने लगा.मुझे ऐसा लगा वो सिर्फ़ मेरा साथ चाह रहा था. सो मैंने उसे आकर्षित करने के लिए मैं कभी हाथ ऊपर करके मस्त अंगडाई लेती, कभी अपने चुचियो को खुजाने लगती. मेरे चुचियो के बीच कि गहराई कुरते में से बाहर झांक रहे थे, उसकी निगाहें मेरे सीने पर ही गडी हुयी थी. मैंने एक बुक ले ली और उलटी हो कर लेट गयी ...और उसे खोल कर देखने लगी. अब मेरे स्तन मेरे कुरते में से साफ़ झूलते हुए दिखने लगे थे.सूरज धीरे से उठा और मेरे पास बिस्तर पर बैठ गया. मैंने अपनी टांगे और फैला ली और सूरज ने मेरे पूरे बदन को निहारा और फिर मेरी पीठ पर सवार हो गया. और उसने मुझे जकड लिया. मैं जानकर के हलके से बोली ये क्या कर रहो हो ...रागनी ...मुझसे रहा नहीं जाता है उसने मुझे सीधाकरके मेरे स्तनों को दबाने लगा मुझे बहुत ही अच्छा लगने लगा था. और उसके होंट मेरे होटो को चूमने लगे .और उसने मेरे कपड़े उतार दिए और खुद भी नंगा हो गया अब मैं और सूरज नंगे हो गए थे. उसने जैसे ही लंड का जोर लगाया और उसका लंड मेरी चूतडों की दरारों में घुस पड़ा. और दरारों से टकराते हुए मेरी गांड के छेद पर आ गया उसको रास्ता देते हुए मैंने अपनी टांगे थोडी फैला दी. तब उसका लंड की सुपारी मेरी गांड के छेद में अन्दर घुस पड़ी.और में आनंद से भर उठी.और होले होले उसके धक्के बढ़ने लगे. मैं बोलती रही "हाय रे ... मत करो ....लग रही है ....हट जाओ आह ...आह ह ...मेरी रानी .... क्या चिकनी है ...... आ अह...."उसके तेज होते धक्को से मुझे दिल में आनंद से भर उठा था. मैं खुश थी कि आज मेरी गांड को लंड मिल गया. अचानक उसने मुझे सीधा कर दिया .... और अपना लंड मुझे दिखाया .उसका मोटा लंड देख कर मेरी उसे चूमने की इच्छा होने लगी ..और लंड मेरी चूत में घुसा दिया मैं तो होश खोने लगी थी ..उसके धक्के बढते जा रहे थे मेरे चूत अब अपने आप उछल उछल कर चुदवा रहे थे मेरी सिस्कारिया मेरे मुंह से अपने आप ही निकलने लगी"मा आ ..मेरी ....हाय ..... माँ रीई ..... चुद गयी माँ ..मेरी ....हाय चूत फट गयी रे ..अचानक सूरज मेरे ऊपर लेट गया और लंड का जोर चूत की जड़ में गड़ाने लगा ... लंड के जोर से गड़ते ही मेरी चूत ने धीरे धीरे रस छोड़ दिया. मैं झड़ गयी उसने फिर लंड का जोर लिपटे लिपटे ही लगाया ...और उसकाभी काम रस निकल गया मैंने प्यार से जकड़कर उसे चिपटा लिया. मेरी इच्छा पूरी हो गयी थी. मैं उसे पागलो कि तरह चुमते जा रही थी फिर हम दोनों नंगे लिपटे ही सुखनिद्रा में चले गए

एक सेक्स कथा


मैं अमित 25 साल, कटनी में रहता हूँ। और मेरा भाई २८ साल का है और एक साल पहले उसकी शादी रागिनी से हुई है। वो एक बड़ी कम्पनी में इंजीनीयर है। उसे ज्यादातर कम्पनी के काम से बाहर जाना पड़ता है। मैं एक कोलेज में पढ़ता हूँ और भैया भाभी के साथ रहता हूँ। शुरू में भैया भाभी ने अपनी मैरिड लाइफ़ को अच्छा टूर मैं मजे किये।लेकिन जब भैया अकेले टूर जाने लगे तो भाभी भैया के टूर से परेशान होने लगी । भैया दो महीने के लिये गये तो मैं और भाभी दोनों ही घर मैं अकेले थे, भाभी बहुत उदास नज़र आने लगी थी। मैं भाभी को खुश करने की कोशिश करता था, लेकिन यह बहुत मुश्किल था। करीब एक माह बीत गया । मैं और भाभी अब अच्छे दोस्त बन गये थे। दोनों ही बाहर जाते थे, घूमते थे मज़े करते थे। कभी कभी मेरे मन में भाभी के साथ सेक्स का ख्याल आते थे लेकिन मैं अपने आप को कंट्रोल करता था। रात को घर में हम दोनों अकेले बहुत सी बातें करते थे,कल रात भाभी ने कुछ सेक्सी बातें की थी। जिससे मैं समझ गया भाभी के मन में मेरे बारे में कुछ चल रहा है। बातें करते समय वो मुझे छूने की कोशिश करती थी मैं मुश्किल से अपने आप को कंट्रोल करता था। भाभी अब सेक्स की कमी महसूस कर रही थी। भाभी घर में साड़ी में रहती थी, साड़ी में उसके गोल चूतड़ देख कर मेरा लंड तन जाता था। उसकी नाभि, ब्लाउज़ में से दिखने वाली उसकी सेक्सी क्लीवेज, मैं पागल होते जा रहा था। मेरे सामने वो अपने साड़ी का पल्लू जानबूझ कर गिराया करती थी ताकि मैं उसके बड़े स्तन देख सकूँ। शायद वो मुझे पाने के लिये कोशिश रही थी। लेकिन मुझमें हिम्मत नहीं थी कि मैं जाकर भाभी के साथ सेक्स करुं। एक रात को बेडरूम मैं अपने भाभी के बारे में सोच कर अपना लंड हिला रहा था, मेरे कमरे का दरवाज़ा तो बंद था लेकिन मैंने लॉक नहीं किया था। तभी भाभी कुछ काम से मेरे कमरे में बिना खटकाए चली आई, और भाभी को देख के मैं इतना शरमा गया।लेकिन भाभी ने कुछ नहीं कहा, अगले दिन मैं कॉलेज से दोपहर को १ बजे घर आया, भाभी ने दरवाज़ा खोला, उसने नीले रंग की शीफ़ॉन साड़ी और सेक्सी स्लीवलेस ब्लाउज़ पहना हुआ था। उसकी पारदर्शक साड़ी में से उसका सेक्सी बदन साफ़ दिख रहा था। उसने मेरे हाथों से मेरा कॉलेज बैग लिया और मुझे अंदर लेकर दरवाज़ा बंद कर दिया ,और मेरे पास आई, उसने मुझे धक्का दिया और सोफ़े पे गिरा दिया। अब वो मेरी छाती पर बैठ गई और बोलने लगी,“अमित कितने भोले हो, अकेले ही रात को मजे ले रहे थे अपनी भाभी को चोद सकते थे , मैं तुम्हारे लिये पागल हूँ, मैने सोच रही थी कभी तो आ के तुम मुझे ज़रूर चोदोगे। मैं तुम्हारा प्यार पाने के लिये तड़प रही हूँ।मुझे तुम्हारे प्यार की बहुत ज़रुरत है।” फिर उसने मेरे होंठों पर अपने होंठ से दबा दिये। फिर तो दस मिनट तक वो मेरे और मैं उसके होंठ चूसता रहा। अब मेरा लंड बहुत टाइट हो रहा था। होंठों के बाद वो मुझे हर जगह चूमने लगी, गाल छाती और भी सब जगह। मैं भी उसके गालों को किस करने लगा। चूस के उसके गोरे गाल मैंने रसीले लाल कर दिये। अब वो बहुत गरम हो गई हम दोनों ने कपड़े निकाल दिये,मैं सिर्फ़ मेरे अंडरवीयर में था। और मेरे लंड का आकार साफ़ नज़र आ रहा था। वो देख के पागल हो गई और बोली जब से तुम्हें अपना ये लंड हिलाते देखा है, मैं तो इसके लिये दीवानी हो गई हूँ,और उसने मेरी अंडरवीयर निकाल दी। अब वो मेरा पूरा नंगा लंड देख के जो कि अब ६ ” से बड़ा हो गया था,उसने उसे अपने हाथों से सहलाना शुरु किया और बोली,“तुम्हारा तो तुम्हारे भैया से काफ़ी बड़ा है, लड़कियों को ऐसे बड़े लंड वाले लड़के बहुत पसंद होते हैं !” वो मेरे लंड के साथ खेलती और मस्ती के साथ मुंह में ले लिया। जबकि यह मेरा पहली बार था, मैं ज्यादा देर नहीं रूक पाया, ८ मिनट के बाद मैने कहा- मैं छूटने जा रहा हूँ ! उसने कहा- मुंह के अंदर ही छोड़ देना ! मैने बड़े जोर के साथ अपना वीर्य उसके मुंह में निकाल दिया और उसने वो पूरा निगल भी लिया। अब छूटने की वजह से मेरा लंड फ़िर अपने सामान्य शेप में आ गया। भाभी और मैं बाथरूम में सफ़ाई के लिये चले गये। वहां तो और सेक्सी बातें करने लगी।अब तक उसकी गरमी ठंडी नहीं हुई थी। उसने कहा,“तुम्हारे भैया का लंड तुमसे बहुत छोटा है, और वो मुझे इतना प्यार भी नहीं करते, भैया नहीं थे तो मैं तुम्हारे लिये पागल हुये जा रही थी।और उसने मुझे फिर किस करना शुरु किया। हम एक दूसरे को फिर किस करते रहे फिर मैने बिना रुके उसके ३६ डी साइज़ के सेक्सी बूब्स दबाने सहलाना और किस करने लगा। उसे ज़ोरो से चूसने लगा। वो चीखने लगी- चूसो और अमित आई लव अआआआआअ आईईइ ईइ ऊऊऊह ह्हह्हा आऐइ ईई ईई…ऊओ ऊ…आ आआअ आ आअ। मैने अपना किस जारी रखा , और वो मेरे लंड से खेले जा रही थी। २० मिनट मैने उसके स्तन चूस चूस के लाल कर दिये, अब मेरा लंड फ़िर तन गया था। अब मेरे लंड को उसके चूत में हमला करना था। अपना तना हुआ लंड मैंने उसकी चूत पर रख कर अन्दर करने की कोशिश किया। मेरा लंड मोटा होने के कारण अंदर जाने में थोड़ी दिक्कत हुई। लेकिन २ जोर के झटकों के बाद अंदर चला गया। तब वो चिल्लाई- आआअ आआअ आऐइ ईईईइ ऊऊऊईइ ईईईई माआ आआआ निकालो बहुत दर्द हो रहा है, लेकिन वो उसे अलग भी नहीं होने देना चाह रही थी। उसे बहुत मज़े भी आ रहे थे। मेरा लंड मज़ा कर रहा था। मैने उसे लगभग तीस मिनट तक चोदा और उसकी चूत का पानी निकाल दिया फिर हम बाथरूम में एक साथ शॉवर में नहाये, वहां भी मैंने थोड़ी मस्ती की। उस रात को हम दोनों एक ही बेड पे सोये थे एक दूसरे के बाहों में पति-पत्नी की तरह। मेरी भाभी के बदन की आग ठंडी हो रही थी। सुबह को वो फ़िर से मेरे लंड के साथ खेलने लगी, उसकी मस्ती से मैं उठ गया और मेरा लंड भी उठ गया। और फिर एक बार मस्तमस्त चुदाई हुई। वो रात मैं अपनी ज़िंदगी में कभी नहीं भुला । उसके बाद भाभी को अलग अलग कामसूत्र तरीके से चोदता रहा,,,, लेखक- विक्रांत

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